भावनाओ का धुआं ,
पलकों की नमी का कुहासा से
रेगिस्तान सी वीरान ज़िन्दगी
में कुछ लिख जाऊंगा ......
जब कल सबेरे
सूरज मेंरे आँगन में आएगा
तुलसी के पत्ते को खाकर
कफ़न डाल सो जाऊंगा....
उस लाचार मौसम में
जब जज्बातों की हवा बहेकेगी
तो तेरी पलकों में दफ़न
मैं याद बनकर छलक आऊंगा....
वो रिश्ता बह जायेगा ..
जो तेरे किस्मत था ही नहीं
मर कर तेरे जीवन का
एक अनजान किस्सा बन रह जाऊंगा...
जो तूने कभी कहा नहीं
वो तेरी आँखों से बह जायेगा
तुम जी कर भी हारोगे
मैं मर कर भी जी जाऊंगा....
अंतिम सफ़र जब निकलेगा
राम नाम सत्य न होगा
राधा कान्हा के अमर प्रेम को
जीवित मैं कर जाऊंगा......
गंगा के साहिल पर
यम को बुलवाने को यज्ञ में
घृत चन्दन की न
आत्म आहुति दे जाऊंगा ..
चाँद भी अमावस में होगा
मेरा हमसफ़र भी खोया
होगा कहीं बदलो की छांव में
मैं ज्यदा कुछ तो नहीं...
बस सबकी कुछ पल की
मुस्कराहट ले जाऊंगा ...
पलकों की नमी का कुहासा से
रेगिस्तान सी वीरान ज़िन्दगी
में कुछ लिख जाऊंगा ......
जब कल सबेरे
सूरज मेंरे आँगन में आएगा
तुलसी के पत्ते को खाकर
कफ़न डाल सो जाऊंगा....
उस लाचार मौसम में
जब जज्बातों की हवा बहेकेगी
तो तेरी पलकों में दफ़न
मैं याद बनकर छलक आऊंगा....
वो रिश्ता बह जायेगा ..
जो तेरे किस्मत था ही नहीं
मर कर तेरे जीवन का
एक अनजान किस्सा बन रह जाऊंगा...
जो तूने कभी कहा नहीं
वो तेरी आँखों से बह जायेगा
तुम जी कर भी हारोगे
मैं मर कर भी जी जाऊंगा....
अंतिम सफ़र जब निकलेगा
राम नाम सत्य न होगा
राधा कान्हा के अमर प्रेम को
जीवित मैं कर जाऊंगा......
गंगा के साहिल पर
यम को बुलवाने को यज्ञ में
घृत चन्दन की न
आत्म आहुति दे जाऊंगा ..
चाँद भी अमावस में होगा
मेरा हमसफ़र भी खोया
होगा कहीं बदलो की छांव में
मैं ज्यदा कुछ तो नहीं...
बस सबकी कुछ पल की
मुस्कराहट ले जाऊंगा ...